Sunday 8 May 2016

मेरे गमों की चादर पर अक्सर मेरी माँ
अपने आंसुओं से रफ़ू कर देती है
जब सोता हूँ उसकी गोद में
सर रख
वो आज भी बालों में अंगुलियां रख
हँस देती है।

एकला।